verse
A
A
फलती हुई हरी धरा,
F#m D A
F#m D A
सभी बहाल, रखे है तू जैसे माँ
A
A
चलती है जिंदगी , दो चार पैरों से,
F#m D A
उड़ती परवाज़ें कंधों पे अपने लगा
उड़ती परवाज़ें कंधों पे अपने लगा
Dmaj7 D
कितनी उड़ानें बाकी, पंछी हैं पूछें हमसे
कितनी उड़ानें बाकी, पंछी हैं पूछें हमसे
G A
अपने क़दमों पे गिर के, हर ज़िन्दगी है मांगे
अपने क़दमों पे गिर के, हर ज़िन्दगी है मांगे
D
खैरात
खैरात
Dmaj7 D
कब तक हँसेगी धरती, कब तक खिलेगी मिट्टी
G A
अरबों इंसानों के आगे, कब तक झुकेगी अपनी
अरबों इंसानों के आगे, कब तक झुकेगी अपनी
D
कायनात
chorus:
कायनात
chorus:
A F#m E B7
फिर लौट जायें उस जहाँ जहाँ कम भी काफ़ी था
फिर लौट जायें उस जहाँ जहाँ कम भी काफ़ी था
A F#m E B7
साँसें बढ़ायें हर किसिम की ज़िंदगी उगा
साँसें बढ़ायें हर किसिम की ज़िंदगी उगा
A A E D F E A
जो बचा हुआ संजो अभी, मिले ना फिर मौका
verse
जलती हुई सूखी धरा
आख़िर इंसानों ने पेड़ों का मत माना
चलती है ज़िंदगी घुटनों के बल तुम अब
प्रगति पसंदों के वहमों में मत आना
जितने पहिये चलेंगे, जितने धातू गलेंगे,
जितने कोयले जलेंगे, उतने कम दिन मिलेंगे
अपने हाथ
अब भी समय है बाकी, नयी आदतें हालांकि
सीखेंगे रत्ती रत्ती , पर मुकम्मिल हो ताकि
ये शुरुआत
chorus:
फिर लौट जायें उस जहाँ जहाँ कम भी काफ़ी था
साँसें बढ़ायें हर किसिम की ज़िंदगी उगा
जो बचा हुआ संजो अभी, मिले ना फिर मौका
जो बचा हुआ संजो अभी, मिले ना फिर मौका
verse
जलती हुई सूखी धरा
आख़िर इंसानों ने पेड़ों का मत माना
चलती है ज़िंदगी घुटनों के बल तुम अब
प्रगति पसंदों के वहमों में मत आना
जितने पहिये चलेंगे, जितने धातू गलेंगे,
जितने कोयले जलेंगे, उतने कम दिन मिलेंगे
अपने हाथ
अब भी समय है बाकी, नयी आदतें हालांकि
सीखेंगे रत्ती रत्ती , पर मुकम्मिल हो ताकि
ये शुरुआत
chorus:
फिर लौट जायें उस जहाँ जहाँ कम भी काफ़ी था
साँसें बढ़ायें हर किसिम की ज़िंदगी उगा
जो बचा हुआ संजो अभी, मिले ना फिर मौका